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सोजे-ए-वतन--मुंशी प्रेमचंद


शोक का पुरस्कार मुंशी प्रेम चंद

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आज तीन दिन गुज़र गये। शाम का वक्त था। मैं युनिवर्सिटी हॉल से खुश-खुश चला आ रहा था। मेरे सैकड़ों दोस्त मुझे बधाइयाँ दे रहे थे। मारे खुशी के मेरी बाँछें खिली जाती थीं। मेरी जिन्दगी की सबसे प्यारी आरजू कि मैं एम०ए० पास हो जाऊँ, पूरी हो गयी थी और ऐसी खूबी से जिसकी मुझे तनिक भी आशा न थी। मेरा नम्बर अव्वल था। वाइस चान्सलर साहब ने खुद मुझसे हाथ मिलाया था और मुस्कराकर कहा था कि भगवान तुम्हें और भी बड़े कामों की शक्ति दे। मेरी खुशी की कोई सीमा न थी। मैं नौजवान था, सुन्दर था, स्वस्थ था, रुपये-पैसे की न मुझे इच्छा थी और न कुछ कमी, माँ-बाप बहुत कुछ छोड़ गये थे। दुनिया में सच्ची खुशी पाने के लिए जिन चीज़ों की ज़रूरत है, वह सब मुझे प्राप्त थीं। और सबसे बढक़र पहलू में एक हौसलामन्द दिल था जो ख्याति प्राप्त करने के लिए अधीर हो रहा था।
घर आया, दोस्तों ने यहाँ भी पीछा न छोड़ा, दावत की ठहरी। दोस्तों की खातिरतवाजों में बारह बज गये, लेटा तो बरबस ख़याल मिस लीलावती की तरफ़ जा पहुँचा जो मेरे पड़ोस में रहती थीं और जिसने मेरे साथ बी०ए० का डिप्लोमा हासिल किया था। भाग्यशाली होगा वह व्यक्ति जो मिस लीला को ब्याहेगा, कैसी सुन्दर है! कितना मीठा गला है! कैसा हँसमुख स्वभाव! मैं कभी-कभी उसके यहाँ प्रोफेसर साहब से दर्शनशास्त्र में सहायता लेने के लिए जाया करता था। वह दिन शुभ होता था जब प्रोफेसर साहब घर पर न मिलते थे। मिस लीला मेरे साथ बड़े तपाक से पेश आतीं और मुझे ऐसा मालूम होता था कि मैं ईसा मसीह की शरण में आ जाऊँ तो उसे मुझे अपना पति बना लेने में आपत्ति न होगी। वह शेली, बायरन और कीट्स की प्रेमी थी और मेरी रुचि भी बिल्कुल उसी के समान थी। हम जब अकेले होते तो अक्सर प्रेम और प्रेम के दर्शन पर बातें करने लगते और उसके मुँह से भावों में डूबी हुई बातें सुन-सुनकर मेरे दिल में गुदगुदी पैदा होने लगती थी। मगर अफ़सोस, मैं अपना मालिक न था। मेरी शादी एक ऊँचे घराने में कर दी गयी थी और अगरचे मैंने अब तक अपनी बीबी की सूरत भी न देखी थी मगर मुझे पूरा-पूरा विश्वास था कि मुझे उसकी संगत में वह आनन्द नहीं मिल सकता जो मिस लीला की संगत में सम्भव है। शादी हुए दो साल हो चुके थे मगर उसने मेरे पास एक ख़त भी न लिखा था। मैंने दो तीन ख़त लिखे भी, मगर किसी का जवाब न मिला। इससे मुझे शक हो गया था कि उसकी तालीम भी यों ही-सी है।

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